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र' वर्त्स्य, लुंठित, सघोष, अल्पप्राण व्यंजन है। वर्त्स्य व्यंजन - ऐसा व्यंजन होता है जिसे उच्चारित करने के लिए जिह्वा को ऊपर के वर्त्स्य कटक से छुआ जाता है या पास लाया जाता है। इनमें 'ट', 'ल', 'ड' और 'स' शामिल हैं। अल्पप्राण - जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय प्राण वायु महाप्राण की तुलना में कम निकले या कम प्रयोग हो,अल्पप्राण कहलाते हैं। जैसे- क,ग,ङ,च,ज,ञ,ट,ड,ण,त,द,न,प,ब,म,य,र,ल,व । सघोष - इन व्यंजनों का उच्चारण करते समय स्वर तंत्रियों में अधिक कंपन हो,घोष या सघोष वर्ण कहलाते हैं।जैसे - ख,ग,ङ,ज,झ,ञ,ड,ढ,ण,द,ध,न,ब,भ,म,य,र,ल,व,ह लुंठित - यह ऐसा व्यंजन वर्ण होता है जिसमें मुँह के एक सक्रीय उच्चारण स्थान और किसी अन्य स्थिर उच्चारण स्थान के बीच कंपकंपी या थरथराहट कर के व्यंजन की ध्वनि पैदा की जाती है। हिन्दी में इसका सबसे बड़ा उदाहरण "र" की ध्वनि है जिसमें जिह्वा का सबसे आगे का भाग कंपकंपाया या थरथराया जाता है।
(96% of 1100) + 92 × 4 = ? + 46 × 16
(21% of 360) ÷ 0.8 =?
290 × 15 ÷ 5 + 34 + 50 = ?
If the weight of 1 liter of water is 1 kilogram, then the volume of 0.1 gram of water is how many cubic millimeters.
(6 × √361) × 2.5 = ? + 125
38 – 3 2 + 5 2 + 6 2 = ? × 6
85% of 620 + ? % of 1082 = 4855