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श्रृंगार रस रसों का राजा एवं महत्वपूर्ण प्रथम रस माना गया है। विद्वानों के मतानुसार श्रृंगार रस की उत्पत्ति श्रृंग + आर से हुई है। इसमें श्रृंग का अर्थ है – काम की वृद्धि तथा आर का अर्थ है प्राप्ति। अर्थात कामवासना की वृद्धि एवं प्राप्ति ही श्रृंगार है इसका स्थाई भाव रति है।