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'आह्वान' का कोई विशिष्ट तद्भव रूप नहीं है; यह अपने मूल रूप में ही प्रयुक्त होता है। ऐसे शब्द जो तद्भव रूप में नहीं बदले हैं, वे अपने तत्सम रूप में ही बने रहते हैं।