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जिन शब्दों के खंडों का कोई अर्थ न हो, वे रूढ़ कहलाते हैं। जैसे- कमल शब्द का अर्थ जलज है परन्तु इसके खण्डों क,म,ल का कोई अर्थ नहीं है।
लंबोदर = लंबा +उदर , अर्थात लंबा है उदर जिसका और यह अर्थ गणेश जी के अर्थ के लिए रूढ़ हो गया है। इसलिए ये शब्द योगरूढ़ है।
रचना के आधार पर शब्दों को तीन प्रकार होते है, वे है: रूढ़, यौगिक, योगरूढ़। रूढ़ : वैसे शब्द जिनका कोई सार्थक न हो, जो परम्परा से विशेष अर्थ प्रदान करता है । जैसे – पानी, हाथी।
जलाशय यौगिक शब्द है
योगरूढ़ शब्द :- पंकज, दिनकर, अग्रगण्य, वंशीधर
योगरूढ़ शब्द :-
वे शब्द, जो यौगिक तो हैं, किन्तु सामान्य अर्थ को न प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, योगरूढ़ कहलाते हैं। जैसे : - पंकज, दशानन आदि। पंकज = पंक+ज (कीचड़ में उत्पन्न होने वाला) सामान्य अर्थ में प्रचलित न होकर कमल के अर्थ में रूढ़ हो गया है। अतः पंकज शब्द योगरूढ़ है। इसी प्रकार दश (दस) आनन (मुख) वाला रावण के अर्थ में प्रसिद्ध है।
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